Meri DuniyaN: Meri DuniyaN: Meri DuniyaN: दोहे
गजल
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यहाँ पर रखी माँ हटानी नहीं थी
झूठी भक्ति उस की दिखानी नही थी
चली आ रही शक्ति नवरात्रि में जब
जला ज्योति की अब मनाही नहीं थी
करे वन्दना उसी दुर्गे की सदा जो
मनोकामना पूर्ण ढिलाई नहीं थी
चले जो सही राह पर अब हमेशा
उसी की चंडी से जुदाई नहीं थी
कपट छल पले मन किसी के कभी तो
मृत्यु बाद कोई गवाही नहीं थी
सताया दुखी को किसी को धरा पर
कभी द्वार माँ से सिधाई नहीं थी
चली माँ दुखी सब जनों के हरन दुख
दया के बिना अब कमाई नहीं थी
भवानी दिवस नौ मनाओ खुशी से
बिना साधना के रिहाई नही थी
डॉ मधु त्रिवेदी
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