संदेश

मई, 2020 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

देखो

 देखो मौत नाचे --------- देखो मौत नाचे  चारों ओर । बाहर न जाओ घर में ही रहना ।। अगर बाहर गये कोरोना पकड़ लेगा क्वारंटीन हो  अपनों से दूर जाओगे  घर में रहना सोशल डिस्टेंस रखना  । बाहर न जाओ घर में ही रहना । देखो मौत नाचे चारों ओर  ।। आकड़ों में नित हो रही है बढ़ोत्तरी सरकार चाहती है हर पल घटोत्तरी बेवजह प्यारे बाहर मत निकलना । बाहर न जाओ घर में ही रहना । देखो मौत नाचे चारों ओर  ।। दिन का चैन नींद रात की खोयी है फिर भी नादां जनता क्यों सोयी है सोच समझ कर ही रोड पर चलना बाहर न जाओ घर में ही रहना । देखो मौत नाचे चारों ओर  ।। यह कोरोना कितना घातक  दीखता बच्चे , युवा किसी को नहीं छोड़ता कैसी इसकी तानाशाही इससे बचना बाहर न जाओ घर में ही रहना । देखो मौत नाचे चारों ओर  ।।

चुपके - चुपके

चुपके चुपके चल पुरवैया अपना ले बदल  रवैय्या कोई छेड़ छाड़ न कर तू हौलै हौले चल रे पुरवैया । यह जन पागल बौराया लाकडाउन न रह पाया बीच भंवर पड़ी है  नैया हौले हौले चल रे पुरवैया । यह पवन भी है मदहोश नयी जवानी का है जोश चल धीरे  लाकडाउन है हर शख्स अपने टाउन है । सजी संवरी  खड़ी गोरी हुई सयानी जो सुन लोरी सात फेरे लेकर पराई हुई लाकडाउन न विदाई हुई । घूंघटे में ऊषा सी आभा अम्बर पर्यन्त दिवा शोभा पट प्रसूनों के खुल रहे है दो अजनबी मिल रहे है ।

जिसे परखा नहीं तुमने खतों से

चित्र
गजल जिसे परखा नहीं तुमने खतों से कभी आगे न जाओ तुम हदों से जरा तू ही बता यह वक्त कैसा निकल पाये न कोई आज घरों से लुटा है चैन मेरा जानूं न किस पर पता मैं पूछती उसका  गुलों से गजल बन कर ढ़ले है जब शब्द मेरे करूँ तुझको मुहब्बत भर लबों से भले ही तुम लगाओ रोक हम पर  मगर  फिर जा मिलेगे चढ़ छतों से घरों में रह हुए है बोर हम सूनो मन मीत उड़ कर चल परों से घुटन से भर गया माहौल सारा  करे हम बात मिल  दिल की दिलों से