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जिन्दगी की चाह

 देख मौत का खौफनाक तांडव जीने की चाह फिर से जगी है है मारा मारी आक्सीजन की  हास्पीटल की मनमर्जी चली है ।   खांसी , जुखाम , बुखार से पीड़ीत कोरोना से ग्रस्त कहलाया है पैसा जमा करो तब एन्ट्री मिलेगी  हास्पीटल प्रशासन ने फरमाया है बेचारा क्या करे और क्या न करे समझ न आए साँसे उसकी थमी है । वायरस यह है बहुत ही खतरनाक नित बदले नये नये डायमेन्शन्स पहुँच जाओ एक बार हास्पीटल  पैसे का बिल पर बिल बढाया है अपने पर प्यार उमड़ा है सबका समझ न आए बस उम्मीद बँधी है । पैसे वाले को फर्क नहीं है पड़ता जान बचाने को खूब दाम लगाया  बस मुसीबत बढ़ी मध्यम वर्ग की जिसको हास्पीटल ने झिकाया है हृदयहीन हो जाए जीवन देने वाले निर्धन की दुनियां बस उजडी है ।

CONFIDENTIAL

 The love that was in sight  words that stood in the balance  Still kept confidential  Do you know why ?  we have contact with them  our request is  It is said in which love  Every alpha is beautiful.  Where did you meet when?  Why did we like  even after a while  those untold moments secret  Which is deplorable even today.  Do you know why ?  because love is deep in them  Young hearts are shaking.  manner of cohabitation  My love for you  That's why it's a secret  It's indecent to keep it alone  In these is the noise of our love   Describing Ascending Descendants  That is why it is confidential from loved ones.

नैनों में चितवन

नैनों में चितवन निखरे कपोलों में उपवन खिले दामिनि सा स्मित हास्य बदन पर है दुरीय लाज  विचर कर मन बीथियों में गुँजित होकर सिसकियों में प्राणों में भरती आह्लाद पर पास नहीं क्यूं आज छन कल्प जैसा लगता है श्वांस अ्ग्नि बन दहकता है  सूनी सूनी इन आहों में  अब कोई सजे न साज मानस भूमि बंजर हो रही प्रीत यह खंजर हो रही  रूदन करती है मेरी रूहें तो भी मुहब्बत पर है नाज

Love raining is remaing

  Love raining is remaing  Love raining is remaing  Love appeasement is remaing   Fog of separation is spread  The call of the beloved is rest     Organ and soul is flaming   Mind and body is deceiving    Smack of youth is remaing    Preet ornaments is remaing    Sky looks worried    Keep roaring continued    Making things disturbed    Love tingaling is remaing    

बाकी है

प्रीत बरसात बाकी है प्रीत बरसात बाकी है प्रीत मनुहार बाकी है विरह की धुन्ध छायी प्रिय की पुकार बाकी है दहका दहका अंग है बहका बहका मन है यौवन की बदरी छाई प्रीत अलंकार बाकी है अम्बर आकुल दिखता रह रह कर गरजता शून्य शोरगुल करता प्रीत प्रकार बाकी है घनन घनन घन घोर बूँदें गिरती है घन से मन बीथी शीत नीर से प्रिय संसार बाकी है

देखो प्रिय

  देखो प्रिये ! मास चैत्र चला आया ,ताप सूर्य का दग्धाने लगा सूखे सरोवर औ तालाब ,खग पंछी लगे अकुलाने  ताँक -झाँक करे वारि की ,दाने -दाने को सब तरसे चाँद  आ गया आसमा में ,चाँदनी शीतलता देने  लगी नये पात पल्लव आये ,शिशिर परिधान उतरने लगे  संध्या वेला जब आती है ,अहसास सुखद लाती है  रमणीयता बढ़ जाती , अंग -अंग महक चहकते है  सांध्य  सुन्दरी नाच उठती , कलरव पंछी की गूज उठती  अवनि का ताप बढ़ता , तन -मन का काम जगता  बांके नयनों चल उठते , तीर मन्मथ से निकलते  निशा  सुन्दरी बादल पनघट, उतर आये भरने को सुधा  चूम -चूम निशा घन छितराये , मिलन हुंकार भरे तारे देख मन्द मुस्कराये ,नैन कटाक्ष की चोट ऐसी  उर  छलनी सुराओं का हो जाये, विलासिता की दुर्ग टूटे प्रेमी जन आकुल हो जाते ,देख चैत्र मास तेरा प्रताप  हर ओर तालाब कूप खुदते , प्याऊँ लग जाते है मन्द  बयार कब चले अब , पात कब हिले लोग तकते तृषा भी जल उठती है , भीम पराक्रम दिखा उठती प्रवासी प्रियतम के उर में ,शोले भड़का उठती है

शिव शक्ति

शिव शक्ति से गूँजे नाद ,शिव शक्ति से आह्लाद है साँसों में जो भरता प्रान , उसका हर कन क्षण गुनगान है मंदिरों में बजते घण्टों , चिड़ियों की कूँजन में  हरे भरे खेतों की हरियाली में , भँवरों की गूँजन में पंख फैलाते पंक्षी कलरव में , उस महाकाल ही लय तान है साँसों में जो भरता प्रान , उसका हर कन क्षण गुनगान है शिव का शिवत्व करता जब स्पंदन, सृष्टि सृजन होता है छल प्रपंच का नाश और ज्ञान , बुद्धि  का अर्जन होता है निशि दिन भजते जिसको सुर , नर मुनि वो शिव मेरा प्रान है साँसों में जो भरता प्रान , उसका हर कन क्षण गुनगान है प्रेम भक्ति , तप का समर्पण , मन का मन को अर्पण एक डोर में बाँधे विश्व को जो ,देखे रुप उसी का दर्पण जीवन दाता है जो इस जग का , वो शिव मेरी जान है  साँसों में जो भरता प्रान , उसका हर कन क्षण गुनगान है

Role Of Ideals Depicting In Ramayan For Inculcating Morals In Students .

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This article aims at knowing the ways that will train students attitude for living harmony with oneself or others .For inculcating values in youths , teenagers or in students , the holy books like GITA, RAMAYAN, BIBLE and QURAN play a vital role to fulfill this aim. The importance Of RAMAYAN is in inevitable because this book embodies timeless value and inspires one’s to broaden one’s consciousness developing a view from ’ ME to WE ’ revealing high spiritual sacrifices and makes enable to face problems of daily life. In this way research paper covers the relevance of RAMAYAN in present scenario. Introduction Value education is the process of acquiring values , developing attitudes and behavioral skills in order to live peacefully .Value education programs centered on learning to manage anger and improve communication through skills such as identifying needs, fulfillment and performing the action of brainwashing . In this way approach to value education changes attitudes and

गजल

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पर्दा

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पर्यावरण

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हैप्पी विमेंस डे

हैप्पी विमेंस डे आधी आबादी का प्रतिनिधित्व तू , सृष्टि का सुन्दर व्यक्तित्व हो अम्बर जैसी तेरी ऊँचाई  झील जैसी तेरी गहराई  पुरूष तत्व जिसका मूल  प्रकृति में वही छवि आई  नारी से भी हो नर पूर्ण , ऐसा तुम्हारा स्वामित्व हो  आधी आबादी का प्रतिनिधित्व तू , सृष्टि का सुन्दर व्यक्तित्व हो  ज्ञान का प्रवाहमयी स्रोत  कुल मर्यादा से ओतप्रोत  तुमसे शिव का ओजस  जीवन नैया का युद्धपोत हो  नारी बिन न मिटे नर की पशुता , ऐसा विश्वास मनुष्यत्व है आधी आबादी का प्रतिनिधित्व तू , सृष्टि का सुन्दर व्यक्तित्व हो  प्रथम पाठशाला जन की सभ्यता संस्कृति मन की नग जैसी स्थिर अडिगता  व्यापता हो रज कन की वेद पुराण गाते है जिसको , ऐसे नर का  पांडित्व हो आधी आबादी का प्रतिनिधित्व तू , सृष्टि का सुन्दर व्यक्तित्व हो 

आपके बिन

 आपके बिन रह अधूरे जाएँगे जिन्दगी में हो अँधेरे जाएँगे दूरियाँ अपनी मिटेगी आज तो  आपके हो हम दिवाने जाएँगे  दोड़ती थी जिन्दगी रफ्तार से काम के बिन तो निवाले जाएँगे  दिल हमारे जल रहे अंगार है पास आये तो पिघलते जाएँगे बस निभाते ही रहे इस प्यार को दूर जाने पर उजड़ते जाएँगे आप आकर रोज हमसे मिले जब  साथ पाकर हो तुम्हारे जाएँगे  इस मुहब्बत पर लुटा दे सर्वस्व तू  जाम मय  वो पिलाते जाएँगे

वसंत

छ ऋतुओं वाला मेरा देश   विविध वेश भूषा वाला देश   यौवन हर बीथि में दिखता मौसम अमराई को भरता    त्रतुराज बसंत खेला करता ।  काली कोकिल कूँ कूँ करती  जब मन्द बयारें महका करती बादल घिर घिर गर्जन करता परिधान जब बोझिल लगता  मधुमास मेरे अगन खेलता । अमुवा की डालि पर आई बौर हवा छेड़ छेड़ मचाती है शोर गाँव की गोरी गाती है फाग पिय को देख देह लगे आग । नव चेतना नव उल्लास  छाया खुमार सुर्ख गुलाबी कपोल आया शर्मीली सी हो गयी है निगाहें मिलन की चाह में भर रही आहें । पर मैं विरहिणी कैसे अब जीऊँ  जब पास न होये मेरा कंत पीऊ पलाश गुलाब संताप बढा रहे पल पल याद में अश्रु ढुलकाये । प्रकृति रुपसि करती है श्रृंगार नयी नवेली भी धारण करे हार  खेतों में हरी सरसों झूम रही अन्नदाता की छाती फूल  रही । वाणी पाणिनि को करे हम नमन अज्ञानता का करे दमन शमन बुद्धि विवेक का हो जन जन संचार मन में विकसे नित नव सद विचार ।

Environment

 Environment Save environment ,save human  Environment nourishes human Nature gives boon to us Makes care all of us We all are debted of nature It give life to every creature So its our duty to obey  If not our joy will go away

वसंत

ले मौसम अंगराई जब ,जागे मन के भाव मस्त प्रकृति तब धारती, सौम्य सहज शबाव लगता मौसम  सुहाना ,आता जब मधुमास यौवन के रंग रंगी है,आज प्रकृति कुछ खास भत्रई करे मानवी साधना , जब तक सोलह साल  खिलता यौवन पुष्प तब,उस में तब हर हाल आता है ऋतुराज तब , अपने यौवन साथ   प्रेम माह को मनाते , पकड़ हाथ में हाथ कूँजते कोकिल बोल है, अमुवा आये बौर गोरी गाये फाग है , गली गली है शोर मन में  है नव चेतना , हर अंग में उल्लास झूम रहे है युगल अब , मुख पर है मधु हास पहनो पीले बसन को , करिये वाणी  जाप विद्या बुद्धि तब उपजती ,पाओ किरपा आप

उर्मिले त्याग

वसुधा पर उर्मिले का , जानो आप त्याग  तपस्विनी वो जन्म ले ,यही समय की मांग  मान प्रिये का बड़ा हो , आज्ञा लूँ मैं मान भातृ प्रेम पिय रखे जो,बाधक मुझे न जान करते सेवा भातृ की , दिवा रात को जाग सेवक लक्ष्मण सदृश हो,यही समय की मांग देखभाल जो करो तुम , जाओ भाई साथ याद आपकी पास हो , करूँ विनय मैं नाथ साथ राम के जानकी , कैसै भोगूँ भोग सेवा तीनों सासु की , कर धारूँ मैं जोग जाऊँ तेरे मैं साथ नहिं , पर रखती अनुराग प्यार हो परिवार में , यही समय की मांग  पीर हृदय में उठी जो , सुन लो मेरे नाथ भाई साथ तुम चले वन,छोड़ पिया यह हाथ निभा सको कर्त्तव्य तुम, जो भाई के हेतु मुरति दिल में आपकी , वहीं बनाये सेतु निशि दिन करती रही है, पिया का जो ध्यान त्याग अनुपम उर्मिले का , धारिये परम ज्ञान कलयुग ऐसा घोर है , कोन करे परित्याग  पत्नी  उर्मिले सी हो  , यही समय की मांग