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Meri DuniyaN: Meri DuniyaN: Meri DuniyaN: Meri DuniyaN: Meri Dun...

गजल चाँद भू पर उतरता नहीं देख धरती मचलता नहीं रात भर जब सफर वो करे पर उसे अब अखरता नहीं आसमां औ जमीं बीच में रोशनी को मुकरता नहीं घेर लेती निशा जब उसे बात कर वो हिचकता नहीं छोड़ कर चाँदनी को बँधा प्रीत उसकी दुपकता नहीं जब गुजरने लगे रात तो वो जगह को बदलता नहीं कैद ऐसा निशा में हुआ चाँदनी  बिन तड़पता नहीं जब निकलती सुबह है तभी चाँद रवि सा सुलगता नहीं शान्त दिन भर बना ही रहे वो किसी से अकड़ता नहीं

Meri DuniyaN: Meri DuniyaN: Meri DuniyaN: Meri DuniyaN: Meri Dun...

आदमी आदमी मुक्त परिंदा नहीं हाव औ भाव में सीधा नहीं जो अड़ा बात अपनी रहे वो किसी की न सुनता नहीं झेलता दर्द इतना यहाँ सामने आज रोता नहीं उस खुदा की नियामत बना जो किसी गैर डरता नहीं रूप उसके अनेकों हुए पर कहीँ आज फसता नहीं जख्म जो देह खाये सभी इसलिए आज सच्चा नहीं आदमी जो मिरा  मर्द है नीम जैसा न कड़वा नहीं प्यार की जब करे बारिशें भीग मन आज थकता नहीं बेहुदी जब किसी से करें उस जिसा काट कुत्ता नहीं डॉ मधु त्रिवेदी

Meri DuniyaN: Meri DuniyaN: Meri DuniyaN: Meri DuniyaN: Meri Dun...

पा पा पा पा पापा तुम स्वरूप दाता माते का सिंदूर हो  पापा तुम अन्नदाता मेरा जीवनाधार हो पापा तुम परिवार के  भाग्य विधाता हो पापा तुमने पा मुझको अपने को खोया बीज जैसा बो बड़ा  किया मुझको। भुला कर आपा अपना नेकी का  मार्ग दिखाया एक सुखद सा अहसास  कराया, पापा सुखी हुए तुम बेटी खुश देख, पापा तुम मेरी खुशी की अभिव्यक्ति हो। पापा तुम व्याकुल व्यथा मेरे मन की बैचेनी हो छोटी जब थी तो सत्यता सदाचार का पाठ तुमने पढाया इन्साफ से जीना भी तुमने सिखाया। आज तुम नही वो दुलार याद आता है, स्नेहमयी छायामयी  साया साथ रहता है डॉ मधु त्रिवेदी