चुपके - चुपके

चुपके चुपके चल पुरवैया
अपना ले बदल  रवैय्या
कोई छेड़ छाड़ न कर तू
हौलै हौले चल रे पुरवैया ।

यह जन पागल बौराया
लाकडाउन न रह पाया
बीच भंवर पड़ी है  नैया
हौले हौले चल रे पुरवैया ।

यह पवन भी है मदहोश
नयी जवानी का है जोश
चल धीरे  लाकडाउन है
हर शख्स अपने टाउन है ।

सजी संवरी  खड़ी गोरी
हुई सयानी जो सुन लोरी
सात फेरे लेकर पराई हुई
लाकडाउन न विदाई हुई ।

घूंघटे में ऊषा सी आभा
अम्बर पर्यन्त दिवा शोभा
पट प्रसूनों के खुल रहे है
दो अजनबी मिल रहे है ।

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