Meri DuniyaN:

आदमी आदमी मुक्त परिंदा नहीं हाव औ भाव में सीधा नहीं जो अड़ा बात अपनी रहे वो किसी की न सुनता नहीं झेलता दर्द इतना यहाँ सामने आज रोत.

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