पा पा पा पा पापा तुम स्वरूप दाता माते का सिंदूर हो पापा तुम अन्नदाता मेरा जीवनाधार हो पापा तुम परिवार के भाग्य विधाता हो पापा तुमने पा मुझको अपने को खोया बीज जैसा बो बड़ा किया मुझको। भुला कर आपा अपना नेकी का मार्ग दिखाया एक सुखद सा अहसास कराया, पापा सुखी हुए तुम बेटी खुश देख, पापा तुम मेरी खुशी की अभिव्यक्ति हो। पापा तुम व्याकुल व्यथा मेरे मन की बैचेनी हो छोटी जब थी तो सत्यता सदाचार का पाठ तुमने पढाया इन्साफ से जीना भी तुमने सिखाया। आज तुम नही वो दुलार याद आता है, स्नेहमयी छायामयी साया साथ रहता है डॉ मधु त्रिवेदी
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