कलैण्डर वाह तेरी तकदीर
*********************
क से शुरू तू
कलंक सी कालिमा
दागी काया
जनवरी से
अनेक बार दगे
दिसंबर तक यूँ
देह में दाग
अनगिनत तेरे
थूँक स्याही
जो मन आये
लिख दूँ तुझ पर
तू शान्त है
मौन भाव से
देखता सबकुछ
टँगा बैठक
हर तारीख
हर महीने तुम
खीचते ध्यान
किसी तारीख
कलंक छाया कर
मुसकराते
कल अाखिरी
दिन इक्कतीस
कूड़ेदान में
कलेण्डर तू
सबका विधाता है
हमेशा टँगा
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क से शुरू तू
कलंक सी कालिमा
दागी काया
जनवरी से
अनेक बार दगे
दिसंबर तक यूँ
देह में दाग
अनगिनत तेरे
थूँक स्याही
जो मन आये
लिख दूँ तुझ पर
तू शान्त है
मौन भाव से
देखता सबकुछ
टँगा बैठक
हर तारीख
हर महीने तुम
खीचते ध्यान
किसी तारीख
कलंक छाया कर
मुसकराते
कल अाखिरी
दिन इक्कतीस
कूड़ेदान में
कलेण्डर तू
सबका विधाता है
हमेशा टँगा
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