तुझ में मैं

तू और मै,
या तुझ में मैं।
कुछ भूला सा,
तुझ मे मैं।
शब्दों की परछाई ,
चपला सी चतुराई।

कलम की कैची सी,
धार पैनी अति तीखी।
तू कुछ रहस्यमय गूढ,
भावों का ना पार कोई।
अखिल अविराम सी भंगिमा,
निजता की अटल सी गरिमा।

अब सुन प्यारे मेरे दुलारे,
मैं कोन?
तेरे लेखन की प्रेरणा मैं,
अनछुई सी कसक मै।
तेरे लबों की आकुलता,
मत सोच त्याग व्याकुलता।

अब सुन मेरे हृदय अंगारे,
मैं सुध।
तु प्यास मैं तेरी तृप्ति ।
तु रात मैं तेरी चित्त धरन,
कुछ खोयी सी मृदु मुस्कराहट।
पीने को तु आतुर प्रेम प्याला,
मधु की मधुता से सिक्त तू।

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