Meri DuniyaN: Meri DuniyaN: Meri DuniyaN: Meri DuniyaN: Meri Dun...

गजल





चाँद भू पर उतरता नहीं

देख धरती मचलता नहीं



रात भर जब सफर वो करे

पर उसे अब अखरता नहीं



आसमां औ जमीं बीच में

रोशनी को मुकरता नहीं



घेर लेती निशा जब उसे

बात कर वो हिचकता नहीं



छोड़ कर चाँदनी को बँधा

प्रीत उसकी दुपकता नहीं



जब गुजरने लगे रात तो

वो जगह को बदलता नहीं



कैद ऐसा निशा में हुआ

चाँदनी  बिन तड़पता नहीं



जब निकलती सुबह है तभी

चाँद रवि सा सुलगता नहीं



शान्त दिन भर बना ही रहे

वो किसी से अकड़ता नहीं

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