Meri DuniyaN: Meri DuniyaN: Meri DuniyaN: Meri DuniyaN: Meri Dun...



आदमी



आदमी मुक्त परिंदा नहीं

हाव औ भाव में सीधा नहीं



जो अड़ा बात अपनी रहे

वो किसी की न सुनता नहीं



झेलता दर्द इतना यहाँ

सामने आज रोता नहीं



उस खुदा की नियामत बना

जो किसी गैर डरता नहीं



रूप उसके अनेकों हुए

पर कहीँ आज फसता नहीं



जख्म जो देह खाये सभी

इसलिए आज सच्चा नहीं



आदमी जो मिरा  मर्द है

नीम जैसा न कड़वा नहीं



प्यार की जब करे बारिशें

भीग मन आज थकता नहीं



बेहुदी जब किसी से करें

उस जिसा काट कुत्ता नहीं



डॉ मधु त्रिवेदी

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