तुम कोन हो ?

क्या लिखूँ ना लिखूँ
मन कुछ कह जाता है
हाल पूछूँ चाल पूछूँ
कैसे बात शुरू करूँ
बोलो तुम कोन हो ?

लिखने तो बहुत है
भावों में तो तुम हो
साँसों की सरगम तुम
विचार बन जाते तुम
बोलो तुम कोन ?

शब्द भी मौन है
गान भी  सिसकता
वाणी में है विश्राम
और लेखनी बताओ
बोलो तुम कोन हो ?

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