Madhuanjuri , My book
BOOK--Madhu Anjuri (Kavya Sangrah)
Author --Dr Madhu Trivedi
About the Book
काव्य वाटिका का पहला पुष्प ही समस्त शंकाओं का शमन करने वाले आषुतोष अमिताभ आदिनाथ देवाधिदेव आदिमहादेव शंकर भगवान शिवशम्भू को अर्पित होना ही इस तथ्य का प्रमाण है कि रचनाकार डाॅ. मधु त्रिवेदी की भागीरथी लेखनी से निकलने वाली शब्द गंगा ऊंचाई के सोपान से अपने मार्ग पर अग्रसर होते हुए हमें आल्हादित करने वाली पावन अनुभूतियों के तीर्थों का दर्शन कराने वाली है।
लोक परलोक के जटिल विषयों को समेटे रचनाओं के शीर्षक, बीज सूत्र की भांति पथ प्रदर्शन के एक अभिनव प्रयोग को इंगित करते हुए बता देते हैं कि स्व व आत्म अध्ययन करने वाले स्वाध्यायी किस प्रकार आध्यात्मिक वीथियों से लोक कल्याण की मुख्य धारा का मार्ग प्रशस्त व प्रकाशित कर देते हैं।
एक और विशेषता आकर्षण का केंद्र है कि लेखिका ने अपनी लेखनी में न केवल राष्ट्र प्रेम से ओत प्रोत वीर रस एवं ईश्वर से सीधे संवाद आधारित आध्यात्मिक अनुभूति और देश-दुनियांँ की भूत व वर्तमान स्थिति पर एक समाज विज्ञानी के रूप में चिंतन आधारित विभिन्न विषयों को उत्कीर्णित किया है वरन् बाल्यकाल से लेकर तरूणी होते हुए मां बनने तक के नारी मन में उठने वाले भावनाओं के उद्वेग और युवाओं की आकांक्षाओं आधारित अपेक्षाओं की काव्यमयी प्रस्तुती इस प्रकार की है कि जब वे बालकों के लिये लिखती हैं तो बालक बन जाती है, युवाओं के लिये लिखती हैं तो युवा बन जाती है। इसी प्रकार नारी अत्याचार पर दुखी होती है, राष्ट्र नायकों के प्रति श्रद्धानत होती हैं, युवाओं को अन्याय के विरूद्ध खड़ा होने को प्रेरित करती है, अपनी स्मृतियों की पिटारी को उलटते पलटते मिलने वाली मुख बाधित लेखनी उनको संबल देती है और मधु उस तूलिका को थामे स्व की तलाश करते हुए अपने शब्द शिल्प संसार की रचना करती है जो आज आपके हाथों में प्रस्तुत है।
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