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Meri DuniyaN: Meri DuniyaN: Meri DuniyaN: जन्म उत्सव के दिन एक ए...: Meri DuniyaN: Meri DuniyaN: जन्म उत्सव के दिन एक एक करके मैं सजा... : Meri DuniyaN: इंसानियत सरेआम नीलाम होती वो दुकान शायद मुझमें  ही है...



चंचल



सुंदर हंसीन

 चेहरे के पीछे

छिपी है उज्ज्वल

पवित्र सादगी

जो मात्र

धरोहर थी

किसी अनजान

अपरिचित की

जिसका

 मात्र भास था

मगर

कोई आभास

न था उसका

चंचलता सादगी

मोह लेती थी मुझे

और मैं एक पाश में

बँधा

अपने को

अक्सर पाता था

अनवरत

 उत्कंठा के बाद

मेरी आसक्ति

पिपासा

बढ़ती जाती

हृदय की

प्रेम उत्तेजना

 बाँधों को

काट

आगे बढ़ती

 जाती

उस राह पर



रूक जाती

जहाँ

केवल तुम ही तुम

दिखाई देते थे

दूर तक

 बस केवल

तुम्हारा साया

ही मात्र था



डॉ मधु त्रिवेदी

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